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    Emotional Well-Being in Hindi | इमोशनल वेल-बीइंग का अर्थ क्या होता है?

    Health & Wellness

    Emotional Well-Being in Hindi | इमोशनल वेल-बीइंग का अर्थ क्या होता है?

    10 August 2023 को अपडेट किया गया

    पूरी तरह से बेहतर होने का अहम हिस्सा है इमोशनल वेल-बीइंग, क्योंकि ये किसी के जीवन से जुड़े नजरिए, बातचीत और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. जरूरी है कि भावनात्मक स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए, क्योंकि भावनात्मक रूप से स्वस्थ होने पर ही लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर पाते हैं और जीवन के कई पहलुओं को संभाल पाते हैं.

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    इमोशनल वेल-बीइंग का अर्थ (Emotional Well-Being Meaning)

    उत्साह से भरपूर अहसास, मन और व्यवहार के संचार के साथ कठिन और तनाव भरे माहौल में भी सामंजस्य बैठने की क्षमता ही इमोशनल वेल-बीइंग कहलाती है. लचीलापन एक जरूरी स्तंभ हैं, क्योंकि ये कठिन परिस्थिति का सामना करने में सक्षम बनाता है. लचीलापन मसल की तरह होता है, जितना ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करेंगे, उतना ज्यादा ये खिचेगी और बेहतर होगी.
    किसी खास परिस्थिति में दुःख भरी भावनाओं और अहसासों को नियंत्रित करने की योग्यता ही इमोशनल वेलनेस है.मजबूत इमोशनल वेल-बीइंग होने पर कोई भी व्यक्ति दूसरों के साथ ज्यादा बेहतर रिश्ता बना सकता है.

    इमोशनल वेल-बीइंग की अहमियत (Importance of Emotional Well-Being)

    जब लोग अपनी भावनाओं के बारे में ये जान जाते हैं कि वो उन्हें खास तरह का अहसास कराती हैं और खुद के साथ दूसरों को भी ये बात पॉजिटिव होकर समझा लेते हैं तो लचीलापन बढ़ता है. यही सही इमोशनल वेल-बीइंग है.
    जब लोग अपनी मानसिक स्थिति पर ध्यान देते हैं तो वो कमाल कर सकते हैं-

    1.खुले दिमाग से आलोचना करना और इसे स्वीकार करना.
    2. किसी के भी साथ असहज बातचीत और चर्चा करना.
    3. मजबूत रिश्ते बनाना.
    ये सब समझ, सहानुभूति, हास्य और करुणा बढ़ने की वजह से होते हैं। लोग अपने और दूसरे लोगों के लिए कम आलोचनात्मक हो जाते हैं.

    इमोशनल वेल-बीइंग और स्वास्थ्य आपस में कैसे जुड़े हुए हैं? (How are Emotional Well-Being and Health Related?)

    एक व्यक्ति की वेल-बीइंग मानसिक, पारस्परिक, बौद्धिक और फिजिकल वेल-बीइंग सहित जीवन के कई हिस्सों को बांधती है. उधाहरण के लिए दिमाग रोजाना 10-15 मिनट की एक्सरसाइज़ में ही बूस्ट कर जाता है. इसके चलते जीवन में उत्साह, सावधानी और सकारात्मक नजरिया मिलता है. एक्सरसाइज शरीर में सेरोटोनिन और डोपामाइन लेवल को नियंत्रित करके नींद को बेहतर बनाने के साथ तनाव को कम करती है. इसकी वजह से लोग अपनी भावनाओं और विचारों को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर पाते हैं.
    इमोशनल वेलनेस दूसरे क्षेत्रों को भी प्रभावित करती है. कई सारी स्टडी खराब मेंटल हेल्थ और शारीरिक बीमारी के बीच के रिश्ते को दिखाती हैं जिनकी वजह से कैंसर, दिल की बीमारियों और सांस से जुड़ी दिक्कतों का खतरा बढ़ जाता है.

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    इमोशनल वेल-बीइंग उदाहरण (Emotional Well-Being Examples)

    मजबूत मानसिक स्वास्थय दिखाता है कि लोग परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं भले ही वो परिस्थितियां उनके नियंत्रण में हों या नहीं। वो कठिन परिस्थिति का सामना करते हुए भावनाओं को नियंत्रित करने वाली मानसिकता में आने के लिए इनमें से किसी एक तकनीक का चुनाव कर सकते हैं.

    1. ग्राउंडिंग फिलिंग (Grounding Feelings)

    अलग-अलग परिस्थितियों में अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित करना ही इमोशनल वेल-बीइंग है। ऐसा करने का एक प्रभावी तरीका है गहरी सांस ली जाए, खुद को जमीनी रखें और उस मौके पर वापस आ जाएं। इस दौरान खुद को नकारात्मक भावनाओं से भी दूर रखना होता है।

    2. जवाब बनाम प्रतिक्रिया (Response vs Reaction)

    जवाब के लिए भावनात्मक बुद्धि का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है। प्रतिक्रिया भावनात्मक होती हैं। जवाब देने में योजना बनानी होती है जैसे कोई किसी चर्चा या बहस में क्या करना चाहता है। जवाब देते हुए लोग व्यवस्थित और विचारशील होने के साथ असल आईडिया से जुड़े इनपुट सुनने को भी तैयार रहते हैं। दूसरी तरफ प्रतिक्रिया आवेग के साथ बिना सोचे समझे दी जाती है, इसका परिणाम भी खराब होता है।

    इमोशनल वेल-बीइंग को कैसे बेहतर करें? (How to Improve Emotional Well-Being?)

    इमोशनल वेल-बीइंग के सही मायने समझने के लिए जाने देने वाला रवैया अपनाना होगा। ऐसा करने के कुछ उपयोगी तरीके हैं:

    1. फिजिकल एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज़ या डांस करना।
    2. व्यक्ति जो जिंदगी जीना चाहता है और जो काम वो करता है, उनके बीच जीवन को बैलेंस करने की दिनचर्या तय करना।
    3. अपने परिवार के साथ दयालू होना और जरूरत पड़ने पर मदद मांगना।
    4. माफ़ करना।
    5. दूसरों को वापस देना।
    6. अच्छी नींद की मदद से शरीर खुद को ठीक करता रहता है।
    7. अपनी जरूरतों और भावनाओं का ध्यान रखना।
    8. आत्म जागरूकता का निर्माण।

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    इमोशनल वेल-बीइंग के लक्षण (Symptoms of Emotional Wellness)

    इमोशनल वेलनेस कई तरह से दिखाई जा सकती है। इसके लिए आप ये कर सकते हैं:

    · दूसरों के साथ दयालुता और सम्मान वाला व्यवहार।
    · जैसे हैं वैसे खुश रहें।
    · स्वीकार करने और लचीले होने की क्षमता दिखाना।
    · कृतज्ञता दिखाना।
    · सकारात्मक और प्रतिकूल दोनों भावनाओं को स्वीकार करना।
    · ध्येय के लिए काम करना।
    · संपत्ति से ज्यादा जीवन के अनुभवों को महत्व देना।
    जितना ज्यादा कोई परिस्थितियों का सामना करके उससे बाहर आएगा, उतना ही ज्यादा इमोशनल वेल-बीइंग बेहतर होगी। याद रखी जाने वाली बात ये है कि इमोशनल वेलनेस का ध्यान रखने वाली सभी चीजें, सबके पास हैं। ये सिर्फ खुद से मिलने की बात है।

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    Written by

    Parul Sachdeva

    A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.

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